
ट्रांसफॉमर के लाभ तो बहुत है। यह एक ऐसा कॉम्पोनेन्ट है जिसका
इस्तेमाल लगभग हर क्षेत्र में होता है। यहाँ आपको ट्रांसफार्मर के कुछ
फायदों को बारे में बताया जा रहा है.
ट्रांसफार्मर के लाभ Benefit Of
Transformer
1. जैसा की सभी जानते है ही की ट्रांसफॉमर को करंट को कम करने या बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके द्वारा सिग्नल, वोल्टेज या करंट को बहुत कम लागत से आसानी से घटाया और बढ़ाया जा सकता है।
2. इसमें एक तरफ की ऊर्जा को दूसरी तरफ बिना किसी फिजिकल रिलेशन से भेजा जा सकता है। इस लिए इसकी प्राइमरी वाइंडिंग सेकेंडरी वाइंडिंग से बिलकुल अलग होती है।
3. ट्रांसफार्मर में किसी भी प्रकार से चलने पर को गति नहीं होती है। इस लिए इसके मैन्टेन्स की कोई जरुरत नहीं पड़ती है।
4. इसमें कोई गति नहीं होने के कारन इसमें कोई शोर नहीं होता है।
5. इसके द्वारा हाई वोल्टेज या सिग्नल को कम या ज्यादा बहुत ही आसानी से किया जा सकता है।
6. इसमें ऊर्जा की बरबादी न के बराबर होती है।
7. Transformer ही एक ऐसा device है को करंट को बिना किसी physical attachment के एक
स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने का काम करता है। और इसके आलावा करंट को कम या ज्यादा
करने में अहम भूमिका निभाता है
1.
जैसा की मैंने आपको अपनी पिछली पोस्ट में आपको Coil के बारे में बताया था। ट्रांसफार्मर क्वाइल का ही रूप है लेकिन
इसमें दो या अधिक Coil
का इस्तमाल होता है।
मै आपको ज्यादा किताबी भाषा का इस्तेमाल न करके सीधे सादे शब्दों
में बताने की कोसिस करूँगा ताकि आपको आसानी से समझ में आये।
ट्रांसफार्मर म्यूचयल इंडक्शन के सिद्धांत पर काम करता है। मान
लीजिये एक ट्रांसफार्मर है जिसमे चार तार है दो तार एक तरफ और दो तार दूसरी तरफ आप
एक तरफ से 220 AC वोल्ट देते है और दूसरी तरफ से आपको 12 AC वोल्ट मिलते
है। आखिर यह होता कैसे है। जबकि
ट्रांसफार्मर में तार और लोहे के कोर के अलावा कुछ नहीं होता। फिर यह कैसे करंट को कम कर देता
है। यही तो खासियत होती है ट्रांसफार्मर में।
क्वाइल में दो तरह के गुण होते है।
पहला → की जब उसमे Ac करंट दी जाती है तो
उसके चारो तरफ एक मैगनेटिक फील्ड या चुंबकीय क्षेत्र बन जाता है
जिसको Electromotive
Force कहते है।
दूसरा → जब किसी क्वाइल को magnetic field में लाया जाता है तो क्वाइल के इलेक्ट्रॉन्स मूव करने लगते है
जिसके वजह से क्वाइल के सिरो से ac करंट बहने लगता है।
क्वाइल के इसी गुण का इस्तेमाल छोटे से लेकर बड़े ट्रांसफार्मर
बनाने के लिए होता है।
आशा है की आपको समझ में आ गया होगा। आप चाहे तो एक
प्रयोग आप कर के देख सकते है।
किसी प्रकार के इन्सुलेटेड तार को किसी भी आधार या पेंसिल
पर लपेट दे और उसके दोनों सिरो पर इंसुलेशन हटाकर एक छोटी LED (कम वाल्ट )
जोड़ दे , अब चुम्बक को क्वाइल के ऊपर आगे पीछे हिलाये तो एलईडी जलने
लगेगी।
2.
ट्रांसफार्मर
3.
ट्रांसफार्मर में तो
कम से कम दो क्वाइल का इस्तेमाल किया जाता है जिनको वाइंडिंग कहते है।
ट्रांसफार्मर में जिस वाइंडिंग पर करंट देते है उसको प्राइमरी
वाइंडिंग कहते है
और जिससे करंट प्राप्त किया जाता है उसको सेकंडरी वाइंडिंग कहते
है।
ट्रांसफार्मर के प्रकार
स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर → इस प्रकार के Step-Down Transformer का इस्तेमाल ज्यादा वोल्ट
को कम करने के लिए होता है। जैसे : → power house Transformer, Laptop Charger Transformer, Mobile
Phone Charger Transformer ect.
1.
स्टेप अप ट्रांसफार्मर → कम वोल्ट को
बढ़ाने के लिए Step-Down Transformer का इस्तेमाल
होता है। जैसे → Inverter
Transformer, Ups Transformer, Stabilizer Transformer etc.
2.
3.
ऑटो ट्रांसफार्मर → इस प्रकार के ट्रांसफार्मर का
इस्तेमाल आवश्यकता के अनुसार अपने आप कम वोल्ट को ज्यादा या ज्यादा
वोल्ट को कम करने के लिए होता है जैसे →
Crt Monitor EHT, Ups, Inverter, Auto
Transformer ect
No comments:
Post a Comment